Kavita Jha

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मंदिर का रहस्य लेखनी कहानी -12-Dec-2021

मंदिर का रहस्य..भाग-6

अब लगभग रोज कृतिका और अनन्या स्कूल से लौटते वक्त मंदिर के पास ही उतर जाती। दोनों का स्कूल अलग अलग था तो कभी कृतिका पहले पहुँच जाती तो कभी अनन्या।
दोनों वहाँ के छोटे से गाँव में लोगों से जानने की कोशिश करते, बहुत सारी जानकारियाँ उनको मिल गई थी एक सप्ताह बाद एक शाम को वो गैंग भी पकड़ा गया कृतिका और अनन्या की सूझबूझ से। करीब छह लोग जिनमें से दो बिल्कुल बाबाजी के भेष में थे गेरुआ वस्त्र धारण किए, सफेद बाल और सफेद बड़ी बड़ी दाढ़ी मूँछ वाले और बाकी चार उनके चेले थे।
उस जगह लोगों को झाड़ फूक के नाम पर ठगा तो जाता ही था, साथ में कम उम्र की लड़कियों का यौनशोषण भी किया जाता। विभूत और प्रसाद के नाम पर नशीली दवाई दी जाती, वहाँ ड्रडस का कारोबार भी लुका छुपी चल रहा था टारगेट थी स्कूली बच्चियां।
बहुत से खुलासे हो रहे थे धीरे धीरे, कई लड़कियां गायब हो गई थी। गाँव वालों ने अपनी इज्जत बचाने के लिए थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज ना करवाई, पर अब धीरे धीरे सब अपनी बच्चियों के बारे में  बता रहे थे।
नाले की सफाई के बाद वहाँ से कई लाशें बरामद हुई, कई तो पूरी तरह से सड़ चुकी थी उनको पहचानना मुश्किल था पर देख कर लग रहा था वो सभी लाशें 13 से 17 साल की लड़कियों की थी।
कृतिका और अनन्या ने पुलिस की काफी मदद की। वो सब्जी वाला जिस पर कृतिका को पहले दिन ही शक हो गया था उसी गैंग के छह लोगों में से एक था। उसका पीछा करते हुऐ अनन्या और कृतिका एक दिन उनके अड्डे तक पहुंच गए, फिर पुलिस को फोन कर उस जगह का पता बताया।
वो गिरोह बहुत ही खतरनाक था। डाबड़ी गाँव में आने से पहले वो हरियाणा, पंजाब, नेपाल, बिहार और
कई जगह उनके कई लोग इसी तरह के धंधे करते थे, धर्म और आस्था की आड़ में। कम उम्र की लड़कियों को बहला फुसला कर देह व्यापार वालों को बेच दिया जाता।
कुछ महीने तो उन बाबाजी का धंधा बहुत बढ़िया चला था  यहाँ भी और उनका लालच बढ़ता गया।
कृतिका के स्कूल के आगे बच्चों के खाने के समान के लिए एक बुढ़िया चारपाई बिछा उस पर टाँफी, इमली, संतरे, चने, चिप्स सब बेचा करती थी उसी का बारह साल का पोता दादी के बिमार पड़ने के बाद वहाँ बैठने लगा, बस उस बच्चे को बहकावे में लाकर उसके सामान में नशीली दवाईयाँ मिलाने लगा था उन बाबा का एक चेला। मकसद था कि जब बच्चियां नशे में होंगी तो उनके माँ बाप जादू टोना समझ उन्हें उस मंदिर में  झाड़ फूक के लिए लाऐंगे। इस गिरोह में कई औरतें भी साथ दे रही थी जो गाँव के उस नए मंदिर के बाबाओं का प्रचार करती, अपनी बातों में भोले भाले ग्रामीणों को फसाती। वो सब भी पकड़ी गई कृतिका और अनन्या की सूझबूझ से। इस बीच पढ़ाई का नुकसान तो हो रहा था पर वो खुश थी उस मंदिर के रहस्य का पर्दा फाश करके, बुरे कर्म करने वाले पुलिस की हिरासत में थे।
अभी कुछ और बाकी था जो कृतिका को परेशान कर रहा था कि आखिर सुषमा मैम बिहारियों से क्यों नफरत करती है और उसके साथ क्यों इतना बुरा बर्ताव करती है।
क्रमशः

कविता झा'काव्या कवि'

#लेखनी

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6 Comments

Inayat

17-Jan-2022 04:33 PM

कहानी अच्छी थी, लेकिन अगले भाग में इतनी देरी...

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Seema Priyadarshini sahay

10-Jan-2022 01:48 AM

बहुत बढ़िया👌👌

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Abhinav ji

09-Jan-2022 11:51 PM

Nice

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